Friday, November 14, 2008

बेटीक सोहर

सोहर अशोक दत्त

धन–धन भाग हमर घर लछमी जनम लेल हे

बहिना हे, बाँहिकेर पलना बनाएब दुलरी झुलाएब हे
ठुमकि आङन बीच घुमत बुच्ची मुस्काएत हे

बहिना हे, बुच्चीकेर मुस्की सङ गाएब मनवाँ जुड़ाएत हे
हुलसि धीयाके पढ़ाएब इसकुल पठाएब हे

बहिना हे, गार्गी मैत्रेयी सन ज्ञानी धीयाके बनाएब हे
आँजुरमे चान–तरेगन धीयाके समाएत हे

बहिना हे, करमसँ सावा हाथ धरती ई अपने उठाएत हे

2 comments:

Jitendra Jha said...

Aha blog Dekhi ke khushi lagal. Update karai rahu.

Gajendra said...

ब्लॉग देखि कए मोन आनन्दित भ' गेल।