नारीएसँ सम्मान –अशोक दत्त
नारीए कोँखिसँ सभ जन्मैए नारीएसँ सम्मान
होइ किए छै सगरो तैयो नारीएके अपमान
कत्तौ नोचल पटकल जाइए, कत्तौ जाइछ जड़ाओल
दहेज आ रीति–रिवाजक नामे फाँसी जाइछ चढ़ाओल
विभेदकेर अँचियापर रहितो रखैए सभके मान
होइ किए छै सगरो तैयो ............
पुरुष करए जँ टोना–टापर धामी कहि गोहराओल
डाइन कहि नारीके ओत्तै विष्ठा जाइछ पिआओल
विक्खक घोट बाध्य भऽ पीबए, बाँटए सदिखन मुस्कान
होइ किए छै सगरो तैयो.................
गार्गी, सीता, अनसुइया बनि पुरुषक मान रखैए
शोषणकेर शूलसँ ओकरे तन–मन बेधल जाइए
दुःख दर्द धरती सन सहिकऽ, करैछ सभक कल्याण
होइ किए छै सगरो तैयो ...............
Friday, November 14, 2008
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1 comment:
परमआदरणीय अशोक भाईजी,
सर्वप्रथम हमर प्रणाम स्वीकार कयल जाउ आ अपन प्रशंसक के सूचि में एकटा हमरो नाम लिखि लेल जाउ I अपनेंक ई रचना खोंता सिंगार नमक कैसेट में सुनलहूँ जाहि में संगीत प्रवेश-सुनील जी के आ स्वर ललित जी के बहुत कर्णप्रिय लागल I माँ भगवती स' अपनेंक दीर्घायु के कामना करैत छी आ हमरा लोकनिक बीच एहने सामग्री परसैत रहू I एक बेर पुनः धन्यवाद आ बधाई I
स्नेहाकांक्षी
मनीष झा "बौआभाई"
हमर जानकारी हेतु एतय क्लिक कयल जाउ
http://jhamanish4u.blogspot.com/
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